Wednesday, December 9, 2020

पैसा कमाना इतना जरूरी हो गया

 पैसा कमाना इतना, जरूरी हो गया ।

बेईमानी, रूह की, मज़बूरी हो गया ।

बाबुजी के बटुए पर, हम ऐश करते थे,

लाखों कमाना मेरा अब, मज़दूरी हो गया ।

पहले था बड़ा मुँहफट, मगर नौकरी मिली तो,

न जाने क्यों, मुझे भी, जी हुजूरी हो गया ।

लथपथ लहू से तिरंगे में, घर जो पहुँचा मैं,

माँ ने कहा, मेरे लाल तू, सिन्दूरी हो गया ।

उस रात वह मुझसे लिपटकर, इतना रोईं थी,

सुबह तक मेरा बदन, कस्तूरी हो गया ।