Saturday, January 19, 2013

लावारिस

कहाँ उन्हें पता था-
कि खींच ली जाएगी,
रूह तक, इस जिस्म से,
कि कफन भी, उन्हें न मिलेगी,
खुद में, सिमटने के लिए,
कि दफन, हो जाएँगे,
वे भी, किसी अखबार में,
किसी लावारिस की तरह......

क्योंकि -
जुर्म जो किया था -
उन्होने इस समाज से,
खिलाफत, जो करने की,
रिवाजों, से लड़ने की।
कसम ली थी, दोनों ने,
संग जीने-मरने की............

Saturday, January 12, 2013

तू जो भी है

तू जो भी है-
मुझमें समाता भी तो नहीं।
करूँ लाख कोशिशें,
मगर तू हैं कि मुझसे,
दूर, जाता भी तो नहीं।
 मैं एक कतरा –
कैसे समझूँ तुझे,
जो बहता है, आँखों से,
शबनम की तरह,
कभी मेरे होठों से,
सरगम की तरह।
कुछ कहता है, मुझसे,
फिर लड़ता है, मुझसे।
छुपाता है, खुद को,
मेरे ही दामन में।
उलझता है, मुझसे,
मेरे ही, आँगन में।
इतने पर भी, मुझे,
अपना बनाता भी तो नहीं।
कैसे अलग कर दूँ,
तू सताता भी तो नहीं।

तू हवा है, फिजाँ है,
या अधूरी ख़्वाहिश।
तू सागर है, साहिल है,
या, हल्की-सी बारिश।
जो दिलाता है एहसास –
मुझे अपने होने का,
भरी महफिल में भी,
तन्हाँ होकर, रोने का।
टूटते हुए तारों में,
सपने सँजोने का।
कब तक रहेगा गुमसुम,
कुछ बताता भी तो नहीं।
तू मेरा ही है हिस्सा,
यह जताता भी तो नहीं।

तू खुदा की है नेमत,
या मेरा ही वजूद।
नहीं खबर मुझे,
मगर, यकीं है -
तू जो भी है, जैसा भी,
तू मेरा है।
सिर्फ मेरा.........................

वह प्यार कहाँ से लाऊँ मैं

तुम सृष्टि का सर्वस्व प्रिय,
और मैं, इस जग का अनुयायी।
तुम नभ तक उज्ज्वल, प्रखर सूर्य,
मैं अपने हित का सौदायी।
फिर तुम्हें समाहित करने-सा, विस्तार कहाँ से लाऊँ मैं।
तुम्ही कहो इस जीवन में, वह प्यार कहाँ से लाऊँ मैं।

कनक लता-सी कोमल तुम,
रजनी तुम पर इतराती है।
उषा, तुमहारें कदमों पर,
नित रश्मि-रूप में आती है।
फिर इन्द्र-धनुषी रंगों-सा श्रिंगार कहाँ से लाऊँ मैं।
तुम्ही कहो इस जीवन में, वह प्यार कहाँ से लाऊँ मैं।

यह विश्व समूचा, प्रेम रूप,
चहूँओर तेरे, मतवालें हैं।
जिन अधरों की तुम स्वामी हो,
वे जीवन- रस के प्यालें हैं।
इन अधरों से रस पाने का, अधिकार कहाँ से लाऊँ मैं।
तुम्ही कहो इस जीवन में, वह प्यार कहाँ से लाऊँ मैं।

इस जग की तुम नहीं प्रिय,
तुम प्राण-सुधा, गंगा-जल हो,
घनघोर तपस्या से सिंचित,
किसी भागीरथ, का फल हो।
मूढ़, अधम मैं, धरती पर, व्यवहार कहाँ से लाऊँ मैं।
तुम्ही कहो इस जीवन में, वह प्यार कहाँ से लाऊँ मैं।