Sunday, April 22, 2012

कहाँ जाना चाहते हो?


रोज सफलता के किस्से,
भर गए , जीवन के हिस्से,
मगर न कोई, हमसफ़र है,
कैसा निर्जन ,यह सफ़र है.
रात की नींदों को त्यागे,
किसलिए तुम जागते हो?
कहाँ जाना चाहते हो?

न पिता की छत्र-छाया,
न बहन का स्नेह पाया,
माँ की ममता से भी वंचित,
न प्रेम -रस से हुए सिंचित.
किन सुखों को पाने हेतु,
इन सबों को त्यागते हो?
कहाँ जाना चाहते हो?

जब भी दुआ में हाथ उठाया,
दौलत हीं दौलत माँग लाया.
रोक दे मुझको , उठाना,
मगर,रोक न उसको गिराना,
स्वप्न में भी,तुम खुदा से,
क्या यही बस मांगते हो?
कहाँ जाना चाहते हो?

अर्थ का रंगी ज़माना,
हर ख़ुशी के दाम पाना.
तुमने सीखा है, यहाँ पर,
 एहसान कर, इतना बताकर.
अपनी हीं छाया के तले से,
क्यों सदा तुम भागते हो?
कहाँ जाना चाहते हो?




  

Saturday, April 7, 2012

तन्हाई



जब आसमां , जमीं पर आकर, झुकने लगे,
मुकद्दर भी , अपनी बाजुओं में टूटने लगे,
ऐ दोस्त!तेरी जिंदगी में, अब भी क्या कमी है?
तब लोग आकर मुझसे, यह पूछने लगे.

क्या बताता मैं उन्हें , सब कुछ यहाँ परायी है,
हर सिकंदर की तरह, मेरे पास भी तन्हाई है,
चंद साँसों को जिन्हें,अपना समझ बैठा था मैं,
जिंदगी भी, मौत से , उधार मांग लाई है.

कैसे बताऊँ मैं उन्हें , कि कैसे गुजरा यह सफ़र,
इक सहारे के लिए , तरसता रहा हूँ उम्र-भर,
बाजुओं के दम पर मैंने , जीत रक्खा था जहां,
फिर भी नमी छायी रही, सदैव मेरी आँखों पर.......

Friday, April 6, 2012

रामदेव बाबा


दूख़ में बाबा, सुख में बाबा,
सब कोई सुमिरै, बाबा-बाबा,
नहीं जाता, कोई काशी-काबा,
जब से आये , रामदेव बाबा.

रोगी के भी डॉक्टर बाबा,
भोगी के भी डॉक्टर बाबा,
योगी के भी डॉक्टर बाबा,
ढोंगी के भी डॉक्टर बाबा.

जो डॉक्टर थे माला-माल,
मक्खी मारते हैं बेहाल,
रोज सुनाते , अपना हाल,
योगी बाबा, उनके काल .

कहीं शीर्षासन , कहीं वज्रासन,
हर घर में , जमता है आसन,
वे सब करते हैं, नौकासन,
जिनका पेट था बना सिंहासन.

बस में जाइए , वहाँ भी आसन,
कोई ट्रेन में , करता आसन,
बाबा का है, ऐसा शासन,
पुस्तक में भी, हुआ प्रकाशन.

जय बाबा का, हुआ यूँ नाम,
भूल गए सब , जय हनुमान,
फ़ल वालों की बंद दूकान,
कद्दू-ककड़ी की बढ़ गयी मांग.

बाबा नाम की मची है लूट,
दवाओं में ,  देते वे छूट,
जनता पड़ी है , ऐसे टूट,
मरू-भूमि में जैसे,मिला हो ऊंट.

बाबा बन गए टेलि-बाबा,
सीडी में भी, आते बाबा,
दिल्ली से लन्दन तक बाबा,
ऐसे छाये , जैसे ढाबा.

सबके तुम हो , रक्षक बाबा,
रोगों के हो, भक्षक बाबा,
मेरी गलती , माफ़  हो बाबा,
जय हो तेरी, जय हो बाबा.