Saturday, February 9, 2013

नारी उत्पीड़न


नारी –
चीखती है, चिल्लाती है।
उसकी करुण आवाज भी,
बड़ी दूर, तक जाती है।
बस एक पुकार, और आँसू ,
हजारों की आँखों में,
दया, उमड़ आती है।
 
मगर, बेचारा पुरुष –
वह तो ठीक से,
कभी रो-भी नहीं पाता।
बेचैनियों की बाँहों में,
जागता है, रात भर,
मगर शुकुन, की चादर में,
सो भी नहीं पाता।

और जब उठता है, सुबह में,
तो देखता है, भीड़,
लिए हुये, कुछ झंडे,
कुछ झंडे और एजेंडे,
जहाँ, लिखा है, उसका दोष –
नारी उत्पीड़न...............